Truth & Lie

Portrayed my thoughts into Poetry after watching a “Web Series – illegal…” सच झूठ के इस जंग में,सच कहां जीत पाया है…सच को सच साबित करने में,किसी ने मौत को गले लगाया है… झूठी ज़िंदगी और दिखावे का रुतबा,बदल गया है फितरत भला किसे करे शिकवा.. ना कर वक्त बरबाद अपना ,झूठ को बेनकाब करनेContinue reading “Truth & Lie”

Topic – Fire

दिल में जलाए रखना ये आग 🔥 तू,खुद को बेहतर बनाने के लिए….उस आग 🔥 में खुद को जला मत देना,किसी और की दुनिया आबाद करने के लिए… बन जायेगा तू राख एक दिन,लोगों की मुश्किलों को समेट ते समेट ते…राख भी दरिया में बह जायेंगे एक दिन,खुद की ख्वाइशों को मिटाते मिटाते… तेरी तसव्वुरContinue reading “Topic – Fire”

Poetry – Tree

ए – नादान,क्यूं ये धरती को मिटाने चला है..हवाओं में जहर तू घोलने लगा है..ना काट इन पेड़ों को तू,खुद को तबाही के तरफ तू खींचने लगा है… ना मिलेगा छांव , धूप से बचने के लिए..ना नसीब होगी ताजी हवा, खुल के सांस लेने के लिए.. ना हवाएं सरसरायेंगे..ना पंछियों के आवाज से वादियांContinue reading “Poetry – Tree”