वो बचपन की बातें, बरसो पुराने यादें, मासूमियत से भरी, छोटी छोटी सरारतें। जमाना वो कुछ और था, दिल मे सच्चा प्यार था, ज़िंदा था इंसानियत रगों में, जीने का अंदाज़ कुछ और था। अब न रहे वो रिस्तो में अपनापन, भीड़ में भी सताये तन्हापन, गुमनाम है इस्क्क़ कहीं दिखावे के आड़ में, पलContinue reading “Missing childhood moments”