Reservation – Arakshan

इंसान कहलाते हम पर नजाने बटे कितने तरीको से।कभी धर्म के नाम पेतो कभी जात के नाम पे… आज फिर से एक जंग जारी आरक्षण को लेकर..फिर से बने दुश्मन एक दूसरे के ,जात के आड पर… सवाल मेरी बस इतनी सी है..समझो तो बात बस छोटी सी है..क्यों बने पहले वजह उस आरक्षण केContinue reading “Reservation – Arakshan”

#wapasi

आज फिर से लौट रही हूं उस जगह,जहां में खुद से रूबरू हुआ था…मुद्दतों के बाद खुद को सवारा था…एक आशियाना सजाया था उन अपनों के संगजिनके साथ होने से खुद को इस काबिल बनाया था.. इस कदर खुस हूं कि आज ये इंतज़ार ख़तम हुआ,मानो फिर से मेरा नया जन्म हुआ… वही गलियां होंगेContinue reading “#wapasi”

Life in city / village

This poem is inspired by the webseries panchayat. आज तकदीर ने ये कैसा मोड़ लाया है,शहर छोड़ कर गांव में खुदको पाया है। सुरुवात का दौर था घुटन से भरा,सजा थी या कुछ और कोई बतादो जरा। शहर की बेपरवाह जिंदेगी याद आती हमे,वीकेंड्स के लेट नाइट पार्टीज फिर बुलाती हमे। चौड़े से सड़केया ऊंचीContinue reading “Life in city / village”

Friendship – yaari

Dedicated to all those special friends of my life  who love me the way I am . अक्सर इस बात का अबसोस मनाया करती..हमेशा इस दुनिया की सिकायत किया करती.. नज़ाने क्यूं लगता था, कोई साथ ही नहीं है..इस बात से डरती थी, कहीं कोई खफा तो नहीं है.. पर आज ये एहसास हुआ कि,कभीContinue reading “Friendship – yaari”

यकीन – Trust

आज फिर मैं एक बार खुद को टटोल रही हूं,आज फिर अपने फैसलों पे सवाल कर रही हूं। क्या इतना आसान है, हर किस्से को मिटा पाना..क्या इतना आसान है, बीते हादसों को भूल जाना… कहते हैं गलती एक बार होती है,बार बार नहीं…फिर से किसिपे यकीन करूं,शायद मुझमें वो हिम्मत नहीं… टूट के बिखरीContinue reading “यकीन – Trust”