नादान थी पहले जो दूसरों पर इल्जाम लगाती थी,
अपनी तकलीफों के लिए औरों को जिम्मेदार ठहराती थी,
वक्त यूं गुजरता चला,
खुद को ये मन बहलाता चला,
किया भी शिद्दत औरों को खुश करने की,
फिर भी प्यार में ठोकर मिलता चला,
दिल को भुल कर जब दिमाग से किया सवाल,
जवाब ये मिला “तुम हो बेमिसाल”,
मगर गलती औरों की नहीं जो तुम्हे समझ न पाए…
जब तुम अपनी कदर खुद कर ना पाए…
ना कर तलाश किसीके साथ के लिए,
ना कर चाहत किसके प्यार के लिए,
क्यूं की ये दुनिया,
सही को पीछे छोड़कर गलत के पीछे भागा करे…
सच को करे नजर अंदाज और झूठ को अपना बनाया करे…
ना कर नादानी बस कर तू खुद से प्यार,
ना कर परवा औरों की खुशियों की, हो सके तो अपनी सख्शियत पर कर एतबार…
✍🏻 Prabhamayee Parida
