The wordings of this poetry are of a Pakistani series “khuda aur mohabbat”. I had just converted those dialogues to poetry and add few lines from my end.
इश्क कभी नाकाम नही होता,
क्यूं की इश्क तो बस इश्क होता है…
मिलजाये मेहबूब तो खुदा की इबादत,
और ना मिले तो होता है
इश्क की कसक,
इश्क का वो दर्द,
और उम्र भर इश्क का दाग रह जाता है…..
इश्क में कोई कुछ खोता नहीं…
क्यूं की सच्चे आशिक का हासिल करने की ख्वाइश ना होती……..
मगर ये लाजमी है,
इश्क में इंसान पाता बहुत कुछ है,
दिलबर की सोहबत तो नही..
मगर इश्तियाक ही सही..
जुदाई ही सही…
और मोहब्बत करने की कोई पाबंदी नहीं होती……
सच्चे प्यार में कोई सौदेबाजी ना होती…
देने के बदले हो पाने की चाह तो , वो चाहत नहीं होती….
अगर आशिक इश्क में मजबूर नहीं,
माशूक/ माशूका के चाह की आश नहीं,
तो तब इश्क को बराई हासिल होती है…
और सही मायने में आशिकी आजाद होती है….
✍🏻 poetry conversion by Prabhamayee Parida

और मोहब्बत करने की कोई पाबंदी नहीं होती…….
बहुत खूब लिखा है 🙂
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Thank you so much
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