Portrayed my thoughts into Poetry after watching a “Web Series – illegal…”
सच झूठ के इस जंग में,
सच कहां जीत पाया है…
सच को सच साबित करने में,
किसी ने मौत को गले लगाया है…
झूठी ज़िंदगी और दिखावे का रुतबा,
बदल गया है फितरत भला किसे करे शिकवा..
ना कर वक्त बरबाद अपना ,
झूठ को बेनकाब करने मे…
कोई मोल नहीं किसिके भावनाओं की,
आसानी से झूठ बिकते हैं अब बाजार मे…
सही गलत के पीछे भाग भाग कर,
तू एक दिन हार जाएगा…
कलयुग है ये इसके अंधकार में,
तू भी कहीं गुम हो जाएगा…
ना कहती तू खामोश रह,
वरना अपनी जमीर से तू गिर जायेगा…
रख वाकिफ और हो तयार हर अंजाम से,
खोकर सबकुछ शायद एक दिन सच को तू जीत पाएगा..
Written By Prabhamayee Parida

बहुत बढ़िया लिखा 🙏🙏
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