आज फिर से लौट रही हूं उस जगह,
जहां में खुद से रूबरू हुआ था…
मुद्दतों के बाद खुद को सवारा था…
एक आशियाना सजाया था उन अपनों के संग
जिनके साथ होने से खुद को इस काबिल बनाया था..
इस कदर खुस हूं कि आज ये इंतज़ार ख़तम हुआ,
मानो फिर से मेरा नया जन्म हुआ…
वही गलियां होंगे होगा वहीं नज़ारा…
ये मौका को जो अब मिला है फिर ना मिलेगा दोबारा…
अफसोस बस इतनी सी है,
वो यार नहीं होंगे जिनके साथ अनगिनत लम्हे गुजरे थे..
बस याद है वो सरारतें और मस्तियां को साथ बिताए थे…
फिर भी उम्मीद है
वो पल फिर वापस आयेंगे…
वो हसीन पलों के गीत फिर से गुनगुनाएंगे
Written by prabhamayee parida
bahut khub likha hai
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Thank you
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Welcome Prabha
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khub 👌
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Thank you
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