I know i am late to post this poem. But still love to…
एक नया साल, एक नई सदी की शुरुआत होगेई,
कहीं कहानी ख़तम हुई तो कुछ नई कहानी बन गई।
बस यादें रेहगए , कुछ खट्टे कुछ मीठे…
बिगड़े रिश्ते जुड़े कहीं तो ,
कहीं कुछ अपने है रूठे।
इस सदी ने भी नजानें रचे कितने कहानियां..
वक्त के साथ पनपते अरमानों की रवानियां..
ऐसे ही कुछ किस्सों से भरी
मेरे डायरी के पन्ने..
अलफाजों से लिपटी कविताएं
जो सुनाते हजारों सपने..
सच हो ये सपने ,ये जरूरी नहीं..
फिर भी उस सपने को जीने की आश ज़िंदा है कहीं।
Written by prabhamayee Parida