अब वक्त आ गया,
करूं मैं रुकसत तुझे अपनी यादों से..
आजाद हुई में,
खुद से की गेयी उन कस्मे और वादों से…
तेरा दामन ना छोड़ने का वादा हमने किया था,
तुझसे इस्क़ करने की सजा खुद को दिया था,
या तू सही, या में गलत…
ये तुझे है पता।
माफ़ करना हजूर..
अगर हुई मुझसे कोई खता।
ना थी तेरी मौजूदगी,
ना बन पाएगा मेरी जिंदगी का हिस्सा..
जीकर था तेरा किताबो के पन्नों में,
माफ़ करना ए – जानेमन,
ख़तम करती हूं आज अधूरा ये किस्सा…
Written by prabhamayee Parida