A thought came after watching the webseries
Kehne Ko Humsafar Hain Season 2 – Ronit Roy, Mona Singh
That thought made me to write this.
कहने को हमसफर हैं।
होती हैं बातें अक्सर,
चाहत नहीं जरूरत बनकर,
साथ होते तो हैं एक दूसरे के,
सायद मिलते हैं अजनबी होकर।
कहने को हमसफर हैं।
वो प्यार तो खो गया है,
वो पल तो कहीं गुम सा हुआ है,
रिश्तों की ज़िम्मेदारी निभाते चले
पर वो एहसास कहीं बूझ सा गया है।
केहन को हमसफर हैं।
पहले तो प्यार खुद से भी था जिसपे तुम मर मिटे थे,
कबसे हम खुद को भुला के तुमसे जुड़ चुके थे,
खयाल ये भी ना रहा कि हम तो हम रहे ही नहीं।
और एहसाह हुआ अब ए- हमसफर
तुम तो हो अब और कहीं।
Written by Prabhamayee Parida
कहने को ही है अब सब कुछ
इसके सिवा है भी क्या कहने को
क्या ख़ूब लिखा है
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Thanks you so much for your appreciation…
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