इस मसरूफ जिंदेगी से रुकसत हुए हम,
तो नजर तुझपे आ गिरी,
ए चांद तेरे हुस्न को ताकते रहे
और ये दिल तुझपे बारी।
एक अकेला तू,
मिटा के रात का अंधेरा।
अपनी रोशनी से
करे ये जग उजियारा।
अल्फाज़ की कमी है तेरे दीदार को,
तुझ बिन तो
हर सवेरा भी है अधूरा।
#photography & #poetry
By @Prabhamayee parida