आज कौन हूं में ।
बरसो पहले कहीं गुम हुई थी,
कहीं वो तो नहीं…
पलकों में ऊंचाइयों के सपने बुनती थी,
कहीं वो तो नहीं…
आज खुश हूं खुदको पाके,
फिर से उड़ने की उमंग जगा के,
जो कल धूल जमी थी आंखों में, आज
साफ किया गलतफहमी के पर्दे हटाके।
हां मै वही तो हूं,
चाहे हो लाखों मुश्किलें पर कभी सिकायत न की थी।
हां मै वही तो हूं,
अपनों के चेहरे पर मुस्कुराहट को अपना फ़र्ज़ मानती थी।
हां मै वही तो हूं,
नकामियाबी को हसके किया स्वागत पर उससे समझौता न की थी।
खुदको गले लगा के पूछा मैंने ये सवाल,
क्यों हो इतनी खास, जुदा हो तुम औरोंसे..
ना होगा कोई तुमसा,जा केहदो जमानेसे..
Written by prabhamayee parida
Me to….and nice one.
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Really relatable for me
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हां मै वही तो हूं,
चाहे हो लाखों मुश्किलें पर कभी शिकायत न की थी।
हां मै वही तो हूं,
अपनों के चेहरे पर मुस्कुराहट को अपना फ़र्ज़ मानती थी।
हां मै वही तो हूं,
नकामियाबी को हसके किया स्वागत पर उससे समझौता न की थी।
वाह ,
बहुत खूब
हाँ मैं वही तो हूँ !
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Thank you so much for appreciation
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