जाना कहाँ हमे ये सवाल खुद से ही पूछें,
बस चलते जा रहे हैं, जिस मोड़ पे लेजाए ये ज़िंदगी।
कैसे बयान करें क्या चाहत है हमारी,
इस सोचमे और ,इस कशमकश में बिता रहे हैं ये ज़िंदगी।
यूँ तो ज़माने होगये अपने किस्से सुनाये हुए,
खुद से करते हैं बातें, क्यूं की औरसों बितगये किसीको अपना बनाये हुए।
कभी तन्हाई में मुस्कुराया और रोया भी,
क्यों कि महफिल में पाया तकलीफों का मज़ाक बनते हुए।
कहती है ये दुनिया अकेले जीना नही आसान,
ज़रूरी है , कोई अपना जो साथ निभाये उम्रभर।
हुम् खुदसे ही रूबरू होलेते हैं हर हाल में,
क्यों कि, किसीकी ज़रूरत बनने के लिए न तलाशे कोई हमसफर।
Written by Prabhamayee Parida